Kamada Ekadashi Vrat Katha in Hindi | कामदा एकादशी व्रत कथा 2022

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम कामदा एकादशी है। यह पापों को नष्ट कर देती है और पुत्र की प्राप्ति होती है। इसके व्रत से कुयोनि छूट जाती है और अन्त में स्वर्ग की प्राप्ति होती है। आए जानते है Kamada Ekadashi Vrat Katha in Hindi के बारे में।

Kamada Ekadashi Vrat Katha in Hindi

प्राचीन काल में एक भोगीपुर नामक नगर में पुण्डरीक नामक का राजा राज्य करता था। वहाँ अनेकों अप्सरा, गन्धर्व, किन्नर आदि वास करते थे। उसी जगह ललिता और ललित नाम के दो स्त्री पुरुष अत्यन्त वैभवशाली घर में निवास करते हुए विहार किया करते थे।एक समय राजा पुण्डरीक गन्धर्वों सहित एक सभा में क्रीड़ा कर रहे थे। उस जगह ललित भी उनके साथ गाना गा रहा था और उसकी प्रियतमा ललिता उस जगह नहीं थी। 

इससे वह उसको याद करने के कारण अशुद्ध गाना गाने लगा। नागराज कर्कोटक ने राजा पुण्डरीक से उसकी चुगली की। इस पर राजा पुण्डरीक ने ललित को श्राप दे दिया कि अरे दुष्ट! तू मेरे सामने गाता हुआ भी अपनी स्त्री का स्मरण कर रहा है। इससे तू कच्चे माँस और मनुष्यों को खाने वाला राक्षस होगा। राजा पुण्डरीक के श्राप से वह ललित गन्धर्व उसी समय एक विकराल राक्षस हो गया। उसका आठ योजन का शरीर हो गया। 

राक्षस हो जाने पर उसको महान दुख मिलने लगे और अपने कर्म का फल भोगने लगा। जब ललिता को अपने प्रियतम ललित का ऐसा हाल मालूम हुआ। तो वह बहुत दुखी हुई। वह सदैव अपने पति के उद्धार के लिए सोचने लगी कि मैं कहाँ जाऊँ और क्या करूँ? एक दिन वह घूमते-घूमते विन्ध्याचल पर्वत चली गई। उसने उस जगह श्रृंगी ऋषि का आश्रम देखा। वह शीघ्र ही उस आश्रम के पास गई और उस ऋषि के सम्मुख जाकर विनय करने लगी। 

उसे देखकर श्रृंगी ऋषि बोले – हे पुत्री! तुम कौन हो और यहाँ किस लिए आई हो? ललिता बोली – हे ऋषि! मैं वीर धन्वा नामक गन्धर्व की कन्या ललिता हूँ। मेरा पति राजा पुण्डरीक के शाप से एक भयानक राक्षस हो गया है। आप राक्षस योनि से छूटने का कोई उत्तम उपाय बतलाइये। तब श्रृंगी ऋषि बोले – अरी गन्धर्व कन्या ललिता। अब चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी आने वाली है। उसका नाम कामदा एकादशी है। उसके व्रत करने से मनुष्य के समस्त कार्य शीघ्र ही सिद्ध हो जाते हैं। यदि तू उसके व्रत के पुण्य को अपने पति को देती है। 

तो वह शीघ्र ही राक्षस योनि से छूट जायेगा। मुनि के वचनों को सुनकर ललिता ने श्रद्धापूर्वक उसका व्रत किया और द्वादशी के दिन ब्राह्मणों के सामने अपने व्रत का फल अपने पति को देने लगी और भगवान से इस तरह प्रार्थना करने लगी – हे प्रभु! मैंने जो व्रत किया है, उसका फल मेरे पतिदेव को मिले। ताकि उनकी राक्षस योनि से शीघ्र ही छूट जाए। एकादशी का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से छूट गया और अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ। वह पहले की भांति ललिता के साथ विहार करने लगा। 

कामदा एकादशी के प्रभाव से वह पहले की भाँति अब अधिक सुन्दर हो गया और मृत्यु के बाद दोनों पुष्पक विमान पर बैठकर स्वर्गलोक को चले गये। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से सब पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके व्रत से मनुष्य ब्रह्म हत्या इत्यादि के पाप और राक्षस आदि की योनि से छूट जाते हैं। इसकी कथा व माहात्म्य के श्रवण व पठन से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

FAQs About Kamada Ekadashi Vrat Katha

Q1. कामदा एकादशी कब है 2022?

12 अप्रैल, मंगलवार, 2022

Q2. कामदा एकादशी का क्या महत्व है?

इस व्रत को विधिपूर्वक करने से सब पाप नष्ट हो जाते हैं और पुत्र की प्राप्ति होती है। इसके व्रत से कुयोनि छूट जाती है और अन्त में स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

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