Kamika Ekadashi Vrat Katha – कामिका एकादशी श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। कामिका एकादशी विष्णु भगवान की अराधना एवं पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय होता है। इस व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्त मिलती है। यह एकादशी कष्टों का निवारण करने वाली और मनोवांछित फल प्रदान करने वाली होती है। आए जानते है कामिका एकादशी व्रत के बारे में।
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कामिका एकादशी व्रत विधि | Kamika Ekadashi Vrat Vidhi
एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के पश्चात संकल्प करके श्री विष्णु के विग्रह की पूजन करना चाहिए। भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि नाना पदार्थ निवेदित करके, आठों प्रहर निर्जल रहकर विष्णु जी के नाम का स्मरण एवं कीर्तन करना चाहिए। एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का बड़ा ही महत्व है। अतः ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चषात ही भोजना ग्रहण करें। इस प्रकार जो कामिका एकादशी का व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूर्ण होती हैं।
कामिका एकादशी व्रत कथा | Kamika Ekadashi Vrat Katha
महाभारत काल में एक समय में कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण ने कहा, “हे भगवन, कृपा करके मुझे श्रावण कृष्ण एकादशी का नाम और महत्व बताइए। श्रीकृष्ण ने कहा कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी भी देवर्षि नारद से कह चुके है, अतः मैं भी तुमसे वहीं कहता हूँ। नारदजी ने ब्रह्माजी से श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादर्शी की कथा सुनने की इच्छा जताई थी। उस एकादशी का नाम, विधि और माहात्म्य जानना चाहा ब्रह्मा ने कहा – “हे नारद!
श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। इस एकादशी व्रत को सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस तिथे पर शंख, चक्र एवं गदाधारी श्रीविष्णुजी का पूजन होता है। उनकी पूजा करने से जो फल मिलता है सो सुनो। गंगा, काशी, नैमिशारण्य और पुष्कर में स्नान करने से जो फल मिलता है, वह फल विष्णु भगवान के पूजन से भी मिलता है।
सूर्य व चंद्र ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, भूमि दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में आने के समय गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी जो फल प्राप्त नहीं होता, वह प्रभु भक्ति और पूजन से प्राप्त होता है। पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादर्शी का व्रत अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है।
स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता। जो इस एकादशी पर श्रद्धवा भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं। वे इस समस्त पापों से दूर रहते हैं। हे नारद! मैं स्वयं श्रोहरी की प्रिय तुलसी को सदैव नमस्कार करता हूं। तुलसी के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और इसके स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है।
कामिका एकादशी का महत्व । Kamika Ekadashi Ka Mahatva
कामिका एकादशी का व्रत करने से सबके बिगड़े काम बन जाते हैं। व्रत के फलस्वरूप भगवान विष्णु की पूजा से उपासकों के साथ उनके पित्रों के भी कष्ट दूर हो जाते हैं। उपासक को मोक्ष प्राप्ति होती है। इस दिन तीर्थस्थानों में स्नान करने और दान-पुण्य करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फलप्राप्ति होती है।
FAQs About Kamika Ekadashi Vrat Katha
Q1. कामिका एकादशी कब है 2022?
24 जुलाई, रविवार 2022
Q2. कामिका एकादशी का महत्व क्या है?
कामिका एकादशी का व्रत करने से सबके बिगड़े काम बन जाते हैं और समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।