बरूथिनी एकादशी व्रत कथा | Varuthini Ekadashi Vrat Katha 2022

Varuthini Ekadashi Vrat Katha: यह वैशाख कृष्ण पक्ष में एकादशी के दिन मनाई जाती है। यह व्रत सुख सौभाग्य का प्रतिक है। सुपात्र ब्राह्मण को दान देने, करोड़ों वर्ष तक ध्यान मग्न तपस्या करने तथा कन्यादान के भी फल से बढ़कर “बरूथिनी एकादशी” का व्रत है।

बरूथिनी एकादशी व्रत विधि | Varuthini Ekadashi Vrat Vidhi

व्रत रखने वाले के लिए खासतौर से उस दिन खाना दातून फाड़ना, पर निंदा, क्रोध करना और असत्य बोलना वर्जित है। इस व्रत में अलोना रहकर तेल युक्त भोजन नहीं करना चाहिए। इसका माहात्म्य सुनने से सौ गउओं की हत्या का भी दोष नष्ट हो जाता है। इस प्रकार यह बहुत ही फलदायक व्रत है।

बरूथिनी एकादशी व्रत कथा

प्राचीन समय में नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नामक राजा राज्य करता था। राजकाज करते हुए भी वह अत्यंत दानशील तथा तपस्वी था। एक दिन जब वह तपस्या कर रहा था। उसी समय एक जंगली भालू आकर राजा का पैर चबाने लगा। थोड़ी देर बाद वह राजा को घसीट कर वन में ले गया। 

तब राजा ने घबराकर तापस धर्म के अनुकूल हिंसा, क्रोध न करके भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भक्त – वत्सल भगवान प्रकट हुए तथा भालू को चक्र से मार डाला। राजा का पैर भालू खा चुका था। इससे वह बहुत ही शोकाकुल हुआ। विष्णु भगवान ने उसे दुखी देखकर कहा – हे वत्स! मथुरा में जाकर जाओ और बरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वाराह अवतार मूर्ति की पूजा करो। 

उसके प्रभाव से तुम पुन: अंगों वाले हो जाओगे। जो भालू ने तुम्हें काटा है, यह तुम्हारा पूर्व जन्म का अपराध था। राजा ने इस व्रत को अपार श्रद्धा से किया तथा सुन्दर अंगों वाला हो गया।

FAQs About Varuthini Ekadashi Vrat Katha

Q1. बरूथिनी एकादशी कब है 2022?

26 अप्रैल, मंगलवार, 2022

Q2. बरूथिनी एकादशी में क्या खाना चाहिए?

इस व्रत में अलोना रहकर तेल युक्त भोजन नहीं करना चाहिए।

Q3. बरूथिनी एकादशी का क्या महत्व है?

इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते है और अंत में सुख मिलता है। इसका माहात्म्य सुनने से सौ गउओं की हत्या का भी दोष नष्ट हो जाता है। इसका फल गंगा के स्नान करने के फल से भी अधिक है।

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